विनिवेश का लक्ष्य पूरा करने, वित्तीय घाटे को काबू में रखने के लिए कंपनियों के निजीकरण का सबसे बड़ा फैसला
एयरटेल, वोडाफोन-आइडिया और जियो को 2 साल में कुल 42000 करोड़ रु के भुगतान से राहत मिलेगी, लेकिन बाद में चुकाने होंगे
नई दिल्ली. कैबिनेट कमेटी ऑन इकोनोमिक अफेयर्स ने सबसे बड़े निजीकरण के फैसले को मंजूरी देते हुए बुधवार को भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड (बीपीसीएल) समेत 5 सरकारी कंपनियों में विनिवेश को मंजूरी दी। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने ये जानकारी दी। उन्होंने स्पष्ट किया की बीपीसीएल की नुमालीगढ़ रिफाइनरी सरकार के पास रहेगी। कैबिनेट ने इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन समेत कुछ अन्य कंपनियों में सरकार की हिस्सेदारी 51% से नीचे लाने पर भी सहमति जताई। चालू वित्त वर्ष में सरकार ने 1.05 लाख करोड़ रुपए का विनिवेश लक्ष्य रखा है। वित्तीय घाटे को तय दायरे में रखने के लिए भी सरकार को अतिरिक्त पूंजी की जरूरत है।
सरकार इन कंपनियों में हिस्सेदारी बेचेगी
कंपनी | सरकार के मौजूदा शेयर | बिक्री की योजना |
बीपीसीएल | 53.29% | 53.29% (मैनेजमेंट कंट्रोल ट्रांसफर के साथ) सरकार नुमालीगढ़ रिफाइनरी को अपने पास रखेगी, इसमें बीपीसीएल की 61.65% हिस्सेदारी किसी अन्य सरकारी कंपनी को ही बेची जाएगी। |
शिपिंग कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया | 63.75% | 63.75% (मैनेजमेंट कंट्रोल ट्रांसफर के साथ) |
कंटेनर कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया | 54.80% | 30.8% (मैनेजमेंट कंट्रोल ट्रांसफर के साथ) |
टिहरी हाइड्रो डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन | 74.23% | 74.23% (मैनेजमेंट कंट्रोल ट्रांसफर के साथ एनटीपीसी को बेची जाएगी) |
नॉर्थ ईस्टर्न इलेक्ट्रिक पावर कॉर्पोरेशन | 100% | 100% (मैनेजमेंट कंट्रोल ट्रांसफर के साथ एनटीपीसी को बेची जाएगी) |
3 लिस्टेड कंपनियों में हिस्सा बेचने से सरकार को कितनी रकम मिलने की उम्मीद?
बीपीसीएल | 63,000 करोड़ |
शिपिंग कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया | 2,000 करोड़ |
कंटेनर कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया | 10,800 करोड़ |
बीपीसीएल के एसेट्स
- 4 रिफाइनरी (नुमालीगढ़ रिफाइनरी बिक्री में शामिल नहीं)
- 15177 पेट्रोल पम्प
- 6011 एलपीजी डिस्ट्रीब्यूटर
कैबिनेट ने टेलीकॉम कंपनियों के लिए अगले 2 साल स्पेक्ट्रम फीस का भुगतान टालने की मंजूरी भी दी। उन्हें अगले दो वित्त वर्ष सिर्फ ब्याज देना होगा। इस फैसले से 2020-21 और 2021-22 में भारती एयरटेल, वोडाफोन-आइडिया और रिलायंस जियो को कुल 42,000 करोड़ रुपए की राहत मिलेगी। हालांकि, दो साल की बकाया किश्तों का भुगतान बाद में करना होगा। कैबिनेट ने 1.2 लाख टन प्याज के आयात की मंजूरी भी दी।